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AI बना रहा फर्जी आधार और पैन कार्ड, ChatGPT के दुरुपयोग से बढ़ा खतरा
AI बना रहा फर्जी आधार और पैन कार्ड, ChatGPT के दुरुपयोग से बढ़ा खतरा
नई दिल्ली | 4 अप्रैल 2025
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने जहां तकनीक की दुनिया में क्रांति ला दी है, वहीं अब इसका दुरुपयोग गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है। हाल ही में सामने आए मामलों में पता चला है कि ChatGPT जैसे जनरेटिव AI टूल्स का इस्तेमाल नकली आधार कार्ड और पैन कार्ड जैसे पहचान पत्र तैयार करने के लिए किया जा रहा है।
AI इमेज जेनरेशन से बना फर्जीवाड़ा आसान
ChatGPT का इमेज जेनरेशन फीचर इतनी रियलिस्टिक तस्वीरें तैयार कर सकता है कि असली और नकली दस्तावेज़ों के बीच फर्क करना बेहद मुश्किल हो जाता है। किसी का नाम, पता और फोटो डालकर नकली पहचान पत्र बनाना अब कुछ ही सेकेंड का काम हो गया है।
इन फर्जी दस्तावेज़ों का इस्तेमाल कर:
फर्जी बैंक अकाउंट खोले जा सकते हैं,
लोन और क्रेडिट कार्ड लिए जा सकते हैं,
मोबाइल सिम एक्टिवेट कर अवैध गतिविधियां की जा सकती हैं।
डेटा सुरक्षा और सामाजिक संकट
साइबर विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह के फर्जीवाड़े से आम नागरिकों की निजी जानकारी जोखिम में पड़ रही है। अगर किसी की पहचान का दुरुपयोग होता है, तो वह न सिर्फ आर्थिक नुकसान झेलता है, बल्कि कानूनी पचड़ों में भी फंस सकता है।
विशेषज्ञों की राय और समाधान
तकनीकी विशेषज्ञों और साइबर एक्सपर्ट्स का मानना है कि जनरेटिव AI टूल्स पर अब नियंत्रण की जरूरत है।
सुझावों में शामिल हैं:
इमेज जेनरेशन टूल्स पर सख्त निगरानी और कानून बनाना
डॉक्यूमेंट टेम्पलेट्स की पहचान कर उन्हें जेनरेट होने से रोकना
यूजर्स को सतर्क करना कि वे अपने डॉक्यूमेंट्स और निजी जानकारी ऑनलाइन सुरक्षित रखें
सरकार और टेक कंपनियों की भूमिका
सरकार और टेक कंपनियों को मिलकर इस समस्या का समाधान तलाशना होगा। भारत में पहले ही डिजिटलीकरण के चलते करोड़ों लोग आधार और पैन से जुड़े हैं। ऐसे में इनकी विश्वसनीयता बनाए रखना बेहद जरूरी है।
निष्कर्ष
AI के बढ़ते उपयोग के साथ-साथ इसके खतरों को नजरअंदाज़ नहीं किया जा सकता। यदि समय रहते इस पर सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो फर्जी पहचान पत्रों के जरिए देश में साइबर क्राइम की एक नई लहर आ सकती है।
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