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कमल गिरी की मेहनत ने चम्पावत में रचा स्वरोजगार का नया अध्याय
चम्पावत, उत्तराखंड, 11 अप्रैल 2025 – चम्पावत जिला मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर दूर दूधपोखरा गांव के 35 वर्षीय कमल गिरी ने अपनी मेहनत और लगन से एक नई मिसाल कायम की है। चार साल पहले तक गांव में छोटी सी दुकान चलाने वाले कमल आज 35 नाली जमीन पर सेब, कीवी, आडू, खुमानी और सब्जियों का विशाल उद्यान संभाल रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने मधुमक्खी पालन और मशरूम उत्पादन को भी अपनी आजीविका का हिस्सा बनाया है।कमल की प्रेरणादायक यात्रा तब शुरू हुई, जब उन्हें जल्दी फल देने वाली सेब की प्रजातियों की जानकारी मिली। इसके लिए वे भीमताल की नर्सरी पहुंचे, जहां उन्हें राज्य सरकार की एप्पल मिशन योजना के बारे में पता चला। इस योजना के तहत उन्हें 60 प्रतिशत सब्सिडी पर 500 सेब के पौधे मिले। इसके बाद उन्होंने कीवी मिशन के तहत 10 नाली जमीन पर कीवी के पौधे लगाए और तेज पत्ता, बड़ी इलायची जैसी फसलों के साथ पॉलीहाउस में सब्जियों की खेती शुरू की। 80 प्रतिशत सब्सिडी पर बने तारबाड़ ने उनकी फसलों को जंगली जानवरों से सुरक्षित रखा।बीते कुछ सालों की मेहनत रंग लाई है। पिछले सीजन में कमल ने 21 क्विंटल सेब बेचे, और इस बार कीवी का उत्पादन भी शुरू हो गया है। इसके अलावा 15 क्विंटल तेज पत्ता भी तैयार हुआ है। पॉलीहाउस से नियमित सब्जियों की बिक्री के साथ-साथ मधुमक्खी पालन और मशरूम उत्पादन ने उनकी आय को और बढ़ाया है। कमल कहते हैं, “सरकारी योजनाओं ने मुझे रास्ता दिखाया, लेकिन मेहनत और जमीन ने इसे हकीकत में बदला।”कमल की सफलता ने गांव में बदलाव की लहर पैदा की है। उनके पड़ोसी और अन्य किसान अब सेब की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं। उनकी उपलब्धियों की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “कमल गिरी जैसे किसान हमारी योजनाओं का जीता-जागता उदाहरण हैं। एप्पल मिशन और कीवी मिशन से न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही है, बल्कि पलायन की समस्या का भी समाधान हो रहा है।”कमल गिरी की यह कहानी उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता और समृद्धि की राह दिखाती है, जो अन्य युवाओं और किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन रही है।
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